संदेश

अपनी गायों के लिये संतुलित आहार कैसे तैयार करें। How to prepare a balanced diet for your cows.

चित्र
अब हम जानेंगे की हम अपनी गायों के लिए संतुलित आहार अपने फार्म पर ही कैसे तैयार करें।  जो राशन हम अपनी गायों के लिए बनाते है वो ( सर्दी और गर्मी ) के हिसाब से अलग-अलग बनाये जाते हैं।         ( गर्मी के लिए राशन कैसे तैयार करें 100 kg में ) 1. सरसों,मूँगफली,बिनोला आदि खलें      ( 30 % ) 2. गेहूँ का दलिया,मक्का चुरी,जौ,गेहूँ का चोकर     ( 35 से 40 % ) 3. मूँग चुरी,उड़द चुरी,अरहर चुरी,चना चुरी आदि    ( 25  से 27 % ) 4.खनिज मिश्रण                    ( 1 से 1.5 %)   5. नमक  आयोडीन युक्त       ( 1 % ) 6. मीठा सोड़ा                        ( 500 ग्राम )     जैसे-सरसों,मूँगफली,बिनोला आदि इन खलों में से कोई ( 2 ) खलों को आप साथ में लें क्योंकि सिर्फ एक खल अगर हम उपयोग में ले रहे हैं तो किसी कारण वो खल कुछ दिन मार्केट में  नहीं मिल पाती हैं तो उसकी जगह हमें अचानक से कोई दूसरी खल अपनी गायों को देनी पड़ सकती हैं। सरसों खल                   बिनोला खल  मानलीजिये के हम अपनी गायों को ( बिनोला खल ) खाने को दे रहे हैं और किसी कारण वह मार्केट में उपलब्ध नहीं हैं तो अब उसकी जगह हम अचानक से अपनी गायों को (

हमे अपनी गायों को राशन दाने में क्या-क्या ( न्यूट्रिशन ) देने चाहिये. What should we give to our cows in ration food?

चित्र
हमें अपनी गायों के दूध उत्पादन और उनकी सेहत को बनाए रखने के लिए उनको ( न्यूट्रिशन ) देने की जरुरत होती है।  जो की ( 6 ) प्रकार के होते हैं। 1. पानी 2. प्रोटीन  3. फैट  4. कार्बोहाइट्रेट   5. मिनरल  6. विटामिन्स स्वच्छ पानी हमारे फार्म पर हर वक़्त उपलब्ध होना आवशयक हैं।  जो दाना-चारा हम अपनी गायों को खिलाने के लिये उपयोग करते हैं उन्ही से हमारी गायों को प्रोटीन,फैट,कार्बोहाइट्रेड,मिनरल,विटामिन आदि मिलते हैं।  इसी से हमारी गायें दूध उत्पादन करती हैं और उनकी सेहत भी अच्छी रहती हैं और अगर हम अपनी गायों को अच्छा दाना-चारा नहीं देते हैं तो वो ठीक से ना तो दूध उत्पादन कर पायेंगी और ना ही स्वस्थ रह पायेंगी।   जब भी हम अपनी गायों के लिये राशन तैयार करें तो हमें जरुरी ( नुट्रिशन ) को ध्यान में रखना पड़ता है और उसी के आधार पर गायों के लिये दाना तैयार किया जाता है।                                ( पानी ) हमें अपनी गायों को हर वक़्त  स्वच्छ साफ पानी उपलब्ध कराना आवशयक है क्योंकि हमारी गायें जब भी पानी की जरुरत महसूस करें तो उनको अपनी जरुरत के मुताबिक पानी मिल सकें और हमारी गायें जीतना ज्यादा पानी पी

गायों को खिलाने में उपयोग किये जाने वाली हरी घास और सूखा चारा कितने प्रकार का होता हैं। What are the types of green grass and dry fodder used in feeding cows.

चित्र
गायों को खिलाने में हम कई तरह की हरी घास उपयोग में ले सकते हैं।  जैसे की ज्वार,मक्का,बरसीम,रिज्का,जोई इत्यादि और भी कई तरह की हरी घास हम अपनी गायों को खिलाने में उपयोग कर सकते हैं।                                              ( सूखा चारा ) जैसे की मूँगफली चारा,ग्वारफली चारा,गेहूँ का भूसा आदि गायों को खिलाने में ज्यादा इस्तेमाल किये जाते हैं।  इसके अलावा मौठ का चारा जिसे बगदा भी बोलते हैं,बेरी के पत्तों का चारा आदि भी गायों को खिलाने में इस्तेमाल किये जाते हैं।     अब आपके यहाँ जो भी चारा ज्यादा पाया जाता हो और सही भाव में मिलता हो वो चारा आप अपनी गायों को खिलाने में उपयोग कर सकते हैं।  इन चारों में सर्दी - गर्मी के हिसाब से काफी लोग बदलाव भी करते रहते हैं जैसे की ग्वारफली के चारे को लोग गर्मी में कम उपयोग करते है क्योंकि इसकी तासीर गर्म बताई जाती हैं जिसको खाने से गायें गर्मी ज्यादा करती हैं जिसके कारण गायें गर्मी में हाँफती है और गायों के गर्भपात होने का भी खतरा रहता हैं।  एक बात और के ग्वारफली के चारे में हार्ड लकड़ी के टुकड़े भी आते हैं जो हमारी गायों के गले में अटक भी सकते है

पशु मंडी या किसी डेरी फार्म से नए पशु खरीदते समय पशुओं में कुछ खास बातों की जाँच करके ही व्यापारियों को उनकी सही कीमत देनी चाहिये। While purchasing new animals from cattle market or any dairy farm, traders should give their right price only after examining some special things in animals.

चित्र
जब भी हम पशु मंडी या किसी बड़े डेरी फार्म से कोई भी गायें खरीदें तो उनकी कीमत अदा करने से पहले उन गायों के चारों थनों में से दूध निकालकर चैक जरूर करें।  दूध की धारें बिल्कुल सही आती हो,सीधी निकलती हो,दूध की धारे फटती नहीं हो यानि के उनमे फव्वारा न बनता हो और जब हम थनों को ऊपर से नीचे तक जब उँगलियों से दबा के देखें तो दूध नली में कोई गाँठ आदि ना महसूस होती हो।   क्योंकि डेरी फार्म का सारा खेल गाय की लेवटी यानि अडर और थनों पर ही निर्भर करता हैं अगर यह बिल्कुल सही होंगे तो ही हमें पूरा दूध उत्पादन मिल पाएगा तभी हमें फायदा होगा और हमारा डेरी फार्म सफल रहेगा।  जब हम अपनी जरुरत के मुताबिक अच्छी गायों की खरीद कर लें तो उनको ट्रक आदि में लोड करने से पहले कुछ जरुरी सामान अपने साथ जरूर लें और कुछ सावधानियाँ भी रखें।   जैसे पशु मंडी या फार्म से जो गायों की खरीद का पक्का बिल रसीद दी जाती हैं उसे लेकर अपने पास रखें ताकि हमें रास्ते में कोई परेशानी ना हो।   अगर सफर लम्बा है तो रास्ते में गायों को खिलाने के लिये कुछ दाना-चारा आदि भी लें और आप चाहे तो कुछ चाटा फीड भी खरीद ले जो वहाँ की गायो

कोनसे वातावरण के लिए कोनसी नस्ल की गायों की खरीद करना ज्यादा बेहतर होता हैं। For which environment, it is better to buy cows of which breed.

चित्र
मेरा कहना है के जब हम गायों की खरीद करें तो पहले ये ध्यान में रखें के हमारे यहाँ का वातावरण कैसा रहता है. अगर हमारे यहाँ ज्यादा तेज गर्मी पड़ती है तो हमें ( क्रॉस ब्रीड ) गायें खरीदनी चाहिये क्योंकि ये गायें ज्यादा बीमार नहीं पड़ेंगी और हमारे यहाँ के वातावरण में जल्दी सेट हो जायेंगी। बाद में हम नसल सुधार की क्रिया को अपनाकर ( क्रॉस ब्रीड ) गायों से ( हाई ब्रीड ) नसल तैयार कर सकते है जो हमारे यहाँ के वातावरण में पली-बड़ी होगी तो उसमें हमें ज्यादा गर्मी में कोई परेशानी देखने को नहीं मिलेंगी।   अगर हमारे यहाँ ज्यादा गर्मी पड़ती है और हम ऊँची नसल की ( हाई ब्रीड ) गायें खरीदकर लायेंगे तो वो हमारे यहाँ की तेज गर्मी को झेल नहीं पायेंगी और बुखार आदि की भी शिकायत रखेंगी।  अगर हमे ( हाई ब्रीड ) गायें ही पसन्द है और हम उन्हें ही खरीदना चाहते हैं तो उनको हमारे यहाँ लाने के बाद ठंडा वातावरण देना होगा।  इसके लिये हमे अपने पशु आवास के अंदर पँखे-कूलर या फॉगर सिस्टम की व्यवस्था करनी पड़ेगी नहीं तो वह गायें अपने दूध उत्पादन को कम कर देंगी और बार-बार बीमार पड़ती रहेंगी जिससे हमें बहुत परेशानी हो सकती हैं और अत

अगर हमें अपनी गायों का दूध अपने हाथों से निकालना है तो किस तरह की गायें ना खरीदें। If we have to remove the milk of our cows from our hands, then what kind of cows should not buy.

चित्र
अगर हमें अपने फार्म पे गायों का दूध अपने हाथों से निकालना पड़ता है तो गायें खरीदते वक़्त ये ध्यान रखें की जिस गाय को हम खरीदें उसके थनों का आकार ज्यादा मोटा-चौड़ा न हो क्योंकि जब हम उसका दूध अपने हाथ से निकालेंगे तो उसके थन हमारे ठीक से पकड़ में नहीं आयेंगे और न ही हमारी मुठ्ठी में ठीक से सेट होंगे। जिस कारण हम उसका दूध जल्दी-जल्दी नहीं निकल पायेंगे इस से होगा यह के वो गाय अपने दूध को वापस ऊपर की और खेंचने लगेंगी जिस के कारण हम उसका पूरा दूध नहीं निकाल सकेंगे।             इसे गाय का दूध चढ़ाना या डोगले करना भी कहते हैं,अगर गाय दूध निकालते वक़्त अगर कुछ दूध अपने अडर यानि लेवटी में रखती है तो इससे उसको ( मैस्टाइटिस ) रोग होने का खतरा रहता हैं।  जिसे हिंदी भाषा में ( जहरबाद ) भी कहा जाता है,इस रोग के कारण हमारी गाय की लेवटी पर सुजन आ जाती हैं. जब हम उस गाय की लेवटी के सुजन वाले हिस्से से दूध निकालते हैं तो वहाँ से जमा हुआ दूध निकलने लगता है. जिसे दूध में छेछड़े आना भी कहा जाता है,और दूध बदरंगा आता है,सुजन के कारण गाय की लेवटी में दर्द भी हो सकता है जिसके कारण कई गायें बुख़ार भी बना सकती है और वह

नए पशु खरीदते वक़्त उनमें क्या खूबियाँ देखकर खरीदें। When buying new animals, buy what they see.

चित्र
 हम जब कहीं नई गायें खरीदने जाए तो स्वभाव से शांत गायें ही खरीदें। जैसे की अगर हम उस गाय के शरीर पर कहीं भी हाथ लगाए तो वह हमें मारने की कोशिश ना करे. उसके लेवटी व थनों पे हाथ लगाने पर न तो लात मारती हो और न उछल-कूद करती हो,उसकी लेवटी बराबर हो कहीं से टेढ़ी-मेढ़ी और एक तरफ से ऊपर एक तरफ से नीचे न नजर आती हो,उसका कोई थन छोटा या कोई बड़ा ना हो,उसके थन कहीं से कटे -फटे या जख्मी न हो। जब हम उसके थनों को दबाएँ तो उनमें से दूध आसानी से निकलता हो,हमें उनपे दूध निकालने के लिए ज्यादा दबाव या ताकत ना लगानी पड़ती हो,यानि के थन कठोर न हो. गाय खाने-पीने में कमजोर न हो,दूसरे या तीसरे ब्याँत से अधिक ब्याँत की न हो. शुरू में हमें दूसरे-तीसरे ब्याँत की गायों को ही खरीदना चाहिये,तीन ब्याँत से ज्यादा की गाये न खरीदें। शुरू में हमें 20 लीटर या इससे ऊपर दूध देने वाली गायों को ही खरीदना चाहिये क्योंकि (10 - 15) लीटर दूध देने वाली गायें हमें ज्यादा मुनाफा नहीं दे पाएँगी। सींग वाली गाय को खरीदने से पहले उसके स्वभाव को देखें की हम उसे हाथ लगाए तो वह हमें मारे ना और उसे दूसरी गायों के साथ अगर खुला छोड़ा जाए तो वो उन

नए पशु खरीदने से पहले किन-किन बातों का ध्यान रखें। Things to keep in mind before buying a new animal.

चित्र
अगर हम कहीं बाहर दूर से नए पशु लाएंगे तो उनको हमारे शहर या गाँव में आने के बाद हमारे यहाँ की जलवायु में खुद को ढ़ालने के लिए उनको कुछ समय लगता है. वह कुछ दिनों तक खाना-पीना भी ठीक से नहीं करते हैं या किसी पशु को बुख़ार आदि की शिकायत भी हो सकती है. ऐसा लंबे सफर के तनाव के कारण भी हो सकता है,ऐसे हालात में जब हमारे पशु ठीक से खाना-पीना नहीं करेंगे और तनाव में रहेंगे तो इससे उनके दूध उत्पादन पर बुरा असर पड़ेगा।                                                    ऐसी समस्याओं से बचने के लिए में आप लोगो को यही सलाह दूँगा के जहाँ तक हो सके अपने शहर या गाँव के  आस-पास की जलवायु में ढले हुए पशुओं को खरीदने की कोशिश करें ताकि वह पशु हमारे यहाँ आने के बाद ना तो बीमार होंगे और ना ही खाना-पीना बंद करेंगे और ना ही उनके दूध उत्पादन पे कोई असर पड़ेगा।   हाँ हो सकता है के किसी पशु के दूध उत्पादन में  2 - 4 दिन के लिए कुछ कमी नजर आए लेकिन इसमें हमें परेशान होने की कोई आवशयक्ता नहीं हैं. ऐसा इसलिए होता है के एक तो उन पशुओं की जगह का बदलना, दूसरा उन पशुओं के मालिक का बदलना क्योंकि जब किसी एक पशु का दूध लंबे सम

लोन के पैसों से हम अपने डेरी फार्म की शुरुआत कैसे करें। How do we start our dairy farm with loan money .

चित्र
जब लोन का पैसा हमारे पास आ जाए तो हमें इसे कहाँ और कैसे उपयोग में लेना हैं पहले यह तय करें।  सबसे पहले जिस जमीन पर हम अपने डेरी फार्म को शुरू करना चाहते है वहाँ पशुओं के लिए आवास तैयार करें,लेकिन एक बात का ध्यान रखे के शुरू में हमें पशुओं के लिए छप्पर या टीनसैड बनाने के लिए ज्यादा पैसा खर्च नहीं करना हैं,सिर्फ जरुरत के मुताबिक आवास तैयार करें। क्योंकि हमें मुनाफा गायों के दूध उत्पादन से होगा इसलिए हमें शुरू में ज्यादा पैसा अच्छी नस्ल की दुधारू पशुओं की खरीद के लिए उपयोग में लेना हैं. जैसे-जैसे हमारे पशुओं की संख्या बढ़ेगी उसके साथ हम छप्पर या टीनसैड की लम्बाई और चौड़ाई को बढ़ा सकते हैं,वो भी अपने पशुओं के दूध उत्पादन से हुए मुनाफे से जिससे हमें और कोई आर्थिक बोझ नहीं पड़ेगा। जब हमारा पशुओं को रखने का आवास पूरी तरह से बनकर तैयार हो जाए तो वहाँ पानी व बिजली की अच्छी व्यवस्था कर लें और जहाँ हमने पशु आवास में दाना-चारा रखने का स्थान बनाया है उनमें पशु खरीदने जाने से पहले 15 से  30 दिन के दाने-चारे की व्यवस्था पहले से ही करनी होगी क्योंकि पशुओं के हमारे यहाँ आते ही उनको दाने-चारे की जरुरत पड़ेगी

लोन लेकर डेरी फार्म की शुरुआत करना। To start dairy farm with loan.

चित्र
जब हम डेरी फार्म करने के लिए बैंक वालों के पास लोन के लिए आवेदन करने जाते है तो बैंक वाले हमसे प्रोजेक्ट फाइल मांगते हैं,और जिस जमीन पर हम अपने डेरी फार्म की शुरुआत करेंगे उसकी भी रिपोर्ट मांगते हैं. इसके लिए हमें बैंक वालों को एक प्रोजेक्ट फाइल बनाकर देनी होती हैं,प्रोजेक्ट फाइल में बैंक वाले हमसे ये जानकारी मांगते है के लोन लेकर जो काम हम शुरू करने जा रहे हैं उसके बारे में हम कितना अनुभव रखते हैं. इस फाइल में हमें अपने डेरी फार्म की शुरुआत करने के लिए कितना खर्चा पशुओं की खरीद पर आएगा,कितना उनके रहने के आवास पर खर्च आएगा,कितना पशुओं के राशन यानि दाने-चारे पर खर्च होगा, पशुओं से जो दूध उत्पादन होगा उसे हम कहाँ और कैसे बेचेंगे,आदि डेरी फार्म से जुड़ी तमाम जानकारी लिखित रूप में प्रोजेक्ट फाइल में बैंक वालों को देनी होती हैं. जिस जमीन पर हम अपने डेरी फार्म की शुरुआत करेंगे अगर वो हमारी खुद की है तो उसके कागजात और अगर हम अपने डेरी फार्म की शुरुआत किराए की जमीन से करना चाहते हैं तो उसके 3 से 5 साल तक किराएनामे के दस्तावेज बैंक वालों को देने होंगे। फिर बैंक वाले हमारे पुरे दस्तावेजो को जाँच